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घर का रास्ता जो भूल जाता हूँ क्या बताऊँ कहा से आता

घर का रास्ता जो भूल जाता हूँ
क्या बताऊँ कहा से आता हूं..

जेहन मे ख्वाब के महल की तरह
खुद ही बनता हूँ टूट जाता हूँ

आज भी शाम-ए-ग़म उदास न हो
मांग कर मैं चिराग लाता हूँ

मैं तो ये शहर के हँसी रास्तो को!
घर से ही कत्ल होकर आता हूँ

रोज आती है एक शख्स की याद
रोज एक फूल थोड़ लाता हूँ

हाय गहराइयां उन आंखों की
बात करता हूँ डूब जाता1 हूँ!!

#ऋषि वर्मा
घर का रास्ता जो भूल जाता हूँ
क्या बताऊँ कहा से आता हूं..

जेहन मे ख्वाब के महल की तरह
खुद ही बनता हूँ टूट जाता हूँ

आज भी शाम-ए-ग़म उदास न हो
मांग कर मैं चिराग लाता हूँ

मैं तो ये शहर के हँसी रास्तो को!
घर से ही कत्ल होकर आता हूँ

रोज आती है एक शख्स की याद
रोज एक फूल थोड़ लाता हूँ

हाय गहराइयां उन आंखों की
बात करता हूँ डूब जाता1 हूँ!!

#ऋषि वर्मा
rishiverma5832

Rishi verma

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