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कभी ये जिस्म ढोता हूँ कभी ये साँस ढोता हूँ मैं रूह

कभी ये जिस्म ढोता हूँ कभी ये साँस ढोता हूँ
मैं रूह की बंजर ज़मीं पे उम्मीदों के बीज बोता हूँ
नमी मिलती रहे रिश्तों की सूखी कोंपलों को
इसी खातिर अक्सर ही अपनी पलकें भिगोता हूँ #उम्मीदों के बीज
कभी ये जिस्म ढोता हूँ कभी ये साँस ढोता हूँ
मैं रूह की बंजर ज़मीं पे उम्मीदों के बीज बोता हूँ
नमी मिलती रहे रिश्तों की सूखी कोंपलों को
इसी खातिर अक्सर ही अपनी पलकें भिगोता हूँ #उम्मीदों के बीज
gautamanand4109

Gautam_Anand

Bronze Star
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