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उड़ान में भी भरु तितली की तरह । . अपने रंग बिरंगे

उड़ान में भी भरु तितली की तरह । .
अपने रंग बिरंगे पंख फैलाऊ आसमान की तरह ।
 समाज की हर बेड़ियों को तोड़कर एक नया इतिहास रच जाऊ ॥
जाति जाती और धर्म के नाम पर अब नही बली दूंगी अपने अरमानो की '
खुलकर खुशियां लूटाऊ  शहद की मिठास की तरह ॥

©Shakuntala Sharma
  # तितली की तरह

# तितली की तरह #कविता

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