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ज' कही हम मिथिला घुमब पिया घुमायब कोना अहां से त'

ज' कही हम मिथिला घुमब पिया
घुमायब कोना अहां से त' कहु।।

षड्दर्शन के टीका जतय सं निकलय
वेद वेदांग के धुन जतय सं बहय 
ज' कही हम एकरा पढवै पिया
पढायब कोना अहां से त' कहु।।

टाट तिलकोर सीम भरल छल जतय
चार पर सजमैन आ कदीमा फरल
ज' कही हम ई सब खायब पिया
खुआयब कोना अहां से त' कहु।।

भोर पराती गावैत मैया उठल
दिन नचारी सुनावैत देव पुजल
ज' कही हम ई सब सीखब पिया
सीखायब कोना अहां से त' कहु।।

सब मिलि क रहैत छल एकहि आंगन
माय बाबु के पूजैत चरण पावन
ज' कही हम संगहि पूजब पिया
पूजायब कोना अहां से त' कहु।

आब बदलि गेल देखु अपन मिथिला
संस्कार बदलल भेल अबला 
मातृभाषा अपन पूत बाजत पिया
बजायब कोना अहां से त' कहु।।

ज' कही हम मिथिला घुमब पिया 
घुमायब कोना अहां से त' कहु।।

                                        © राघव रमण 
                                                  28/11/19 ज' कही हम मिथिला घुमब पिया
घुमायब कोना अहां से त' कहु।।

षड्दर्शन के टीका जतय सं निकलय
वेद वेदांग के धुन जतय सं बहय 
ज' कही हम एकरा पढवै पिया
पढायब कोना अहां से त' कहु।।
ज' कही हम मिथिला घुमब पिया
घुमायब कोना अहां से त' कहु।।

षड्दर्शन के टीका जतय सं निकलय
वेद वेदांग के धुन जतय सं बहय 
ज' कही हम एकरा पढवै पिया
पढायब कोना अहां से त' कहु।।

टाट तिलकोर सीम भरल छल जतय
चार पर सजमैन आ कदीमा फरल
ज' कही हम ई सब खायब पिया
खुआयब कोना अहां से त' कहु।।

भोर पराती गावैत मैया उठल
दिन नचारी सुनावैत देव पुजल
ज' कही हम ई सब सीखब पिया
सीखायब कोना अहां से त' कहु।।

सब मिलि क रहैत छल एकहि आंगन
माय बाबु के पूजैत चरण पावन
ज' कही हम संगहि पूजब पिया
पूजायब कोना अहां से त' कहु।

आब बदलि गेल देखु अपन मिथिला
संस्कार बदलल भेल अबला 
मातृभाषा अपन पूत बाजत पिया
बजायब कोना अहां से त' कहु।।

ज' कही हम मिथिला घुमब पिया 
घुमायब कोना अहां से त' कहु।।

                                        © राघव रमण 
                                                  28/11/19 ज' कही हम मिथिला घुमब पिया
घुमायब कोना अहां से त' कहु।।

षड्दर्शन के टीका जतय सं निकलय
वेद वेदांग के धुन जतय सं बहय 
ज' कही हम एकरा पढवै पिया
पढायब कोना अहां से त' कहु।।