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बेशक मुझे अच्छी, तेरी हर चीज़ लगती है। पर खुद्दारी

बेशक मुझे अच्छी, तेरी हर चीज़ लगती है।
पर खुद्दारी मुझे एहसान से अजीज़ लगती है।।

जो भी है, जैसी भी है, मेरे मेहनत की ये रोटी,
मैं सुखी भी अगर खाऊं, बहुत लजीज़ लगती है।। बेशक मुझे अच्छी, तेरी हर चीज़ लगती है।

Beshak mujhe acchi, teri har chij lagti hai.
Par khuddari mujhe ahesaan se ajij lagti hai.

Jo bhi hai, Jaisi bhi hai, mere mehnat ki ye roti,
mai sukhi bhi agar khau, bahoot laziz lagti hai..
बेशक मुझे अच्छी, तेरी हर चीज़ लगती है।
पर खुद्दारी मुझे एहसान से अजीज़ लगती है।।

जो भी है, जैसी भी है, मेरे मेहनत की ये रोटी,
मैं सुखी भी अगर खाऊं, बहुत लजीज़ लगती है।। बेशक मुझे अच्छी, तेरी हर चीज़ लगती है।

Beshak mujhe acchi, teri har chij lagti hai.
Par khuddari mujhe ahesaan se ajij lagti hai.

Jo bhi hai, Jaisi bhi hai, mere mehnat ki ye roti,
mai sukhi bhi agar khau, bahoot laziz lagti hai..