#उफ़ ए तेरा चेहरा# अगर जो उठ गया पर्दा बेनकाब हो जाओगे पर्दे के पीछे ही जिहाद रहने दो घूमते फिरते हो साहेब सरीफ बन कर छोड़ो भी अब ए सराफत मिया थोड़ा ही सही पर चेहरे पे शर्म का कुछ भाव रहने दो अरे सुनो तो हम जानते है फितरत तुम्हारी है ही धोखेबाजी की अरे जरा सा दिल में प्यार रहने दो बेशक बेगुनाह हो तुम हजार कत्ल कर के अब जरा इन गुनाहों बे नकाब रहने दो अगर उठ गया पर्दा बेनकाब हो जाओगे पर्दे के पीछे ही जिहाद रहने दो बड़ा हुआ करवा बचपन को छोड़ कर गुजरही गाव की गलियों में ए किलकारियां रहने दो अब बिन्न बचपन के ही बड़े हो गए मिया तो जरा सुनो ऐसे भी पर्दे के पीछे की शान रहने दो सनातनी है हम कुछ चंद दिन के मेहमान नहीं जो चंद दिन वाले है उन्हें चंद दिन का मेहमान रहने दो क्यू रोते हो बिलख बिलख कर थोड़ा सब्र रखो ज्यादती इंसान रहने दो अरे पहुंचा देंगे तुम्हे तेरे अब्बा के पास सब्र में थोड़ी जान रहने दो खवाईसे ही थे जो उतर गए सलवार तुम्हारे अब चुप भी रहो बेशर्मी का हद थोड़ा उस पर रहने दो कभी अमेरिका कभी चाइना कभी हिंदुस्तान रहने दो अब धीरे धीरे आदत सी हो गई है तुम्हारी इन आदतों में भी थोड़ा सा शर्म रहने दो चिलाते रहते हो बैठ कर पूरा दिन आओ कभी शहर में मिल बैठते है शहर ही है मिया कब्रगाह नहीं छोड़ो शहर को शहर ही रहने दो तुम तो आदि हो बम बारूद की इंसान के लिए इंसानियत की मिसाल रहने दो सुनो अब क्या बात करोगे तुम लफ्ज़ ए मोहब्त की ए श्री कृष्न की नगरी है यहां मोहबत ही मोहब्बत है अब तुम आशु ना गीराओ संभाल के रखो कल काम आएगी इंतजार तो करो तुम्हरा चेहरा बेनकाब होने दो ए आवाज कृष्णा की है तो क्या ऐसे दबा दोगे अरे उठ गई है तो उठ जाने दो मिया तुम्हारे अब्बा का हिंदुस्तान थोड़े है बेशक थी प्यार तुम्हारे लिए भी दिल में अब कैसे कहे तुम्हे छोड़ो ईस दिल की प्यार को दिल में ही रहने दो बैठे बैठे कुछ कागज ही ढूंढ लो कब तक खो गया जल गया बोलोगे अब ईस झूठ को झूठ रहने दो अरे देखो तुम्हारी अम्मा इन्तजार कर रही है उस पर अब जाओ भी हिंदुस्तान को हिंदुस्तान रहने दो अगर उठ गया पर्दा ती बेनकाब हो जाओगे पर्दे के पीछे ही जिहाद रहने दो #कृष तिवारी #sunlight