Nojoto: Largest Storytelling Platform

पूछा इक दिन किसी ने मुझसे ,दुःख है क्या?? जब फ़रिय

पूछा इक दिन किसी 
ने मुझसे ,दुःख है क्या??
जब फ़रियाद न सुने साई या जब साथ छोड़ दे खुद की परछाई या विपदा कोई बड़ी आई या चाहत रंग ना लाई 
 बीच भंवर में ही हमसफर छोड़ दे कलाई या भाई रहे ना भाई या ज़िंदगी हमारे इशारों से ना चल पाई या कर्ज में डूबे पाई-पाई 
 मैने कहा नहीं दोस्त,इन सब की तो कभी ना कभी हो जाए भरपाई
 एक भरपाई ऐसी भी, जो न हम कर सके न तुम
 दुःख है!स्व-नयन से देखते रहना माँ-बाप का आता हुआ बूढ़ापन।

©virutha sahaj कविता शीर्षक ; दुःख!
पूछा इक दिन किसी 
ने मुझसे ,दुःख है क्या??
जब फ़रियाद न सुने साई या जब साथ छोड़ दे खुद की परछाई या विपदा कोई बड़ी आई या चाहत रंग ना लाई 
 बीच भंवर में ही हमसफर छोड़ दे कलाई या भाई रहे ना भाई या ज़िंदगी हमारे इशारों से ना चल पाई या कर्ज में डूबे पाई-पाई 
 मैने कहा नहीं दोस्त,इन सब की तो कभी ना कभी हो जाए भरपाई
 एक भरपाई ऐसी भी, जो न हम कर सके न तुम
 दुःख है!स्व-नयन से देखते रहना माँ-बाप का आता हुआ बूढ़ापन।

©virutha sahaj कविता शीर्षक ; दुःख!