जीवन की सीख, मांगे न मिलती भीख। कारवां! न बढ़े आगे हो जाता है सूखा ईख! न रस होता है उसमें ईख सम जीवन हो जाता, बढ़ जाती है बैचेनी मन फिर जड़ हो आता। न आती फिर कोई सोच नीक जीवन की सीख........ कदम बढ़े आगे रुकने न पावे मार्ग जो विषम हो, पुष्प ही आवे। सफलता की वही राह ठीक. जीवन की सीख........ चलने की बात क्या! कछुये सम चलेंगे। मंजिल दूर क्यों न हो, रेंगकर पहुंचेंगे। अपनी यही राह ठीक। जीवन की सीख..... जीवन की सीख.....