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ऐ चाँद तेरी चांदनी पे पहरे लगाना चाहता हूँ तेरी पर

ऐ चाँद तेरी चांदनी पे पहरे लगाना चाहता हूँ
तेरी परछाईं में मेरा चाँद मुझसे खो गया है....
तू न समझे पीर मेरी क्या व्यथा क्या घाव है
निशब्द है अब ये राग भी अब न मधुर संगीत है
कोलाहल है धरा में न लबो पे गीत है..
तूने हर रात आकर है कई सपने सजाए
तेरी शीतलता में जीवन ये घनेरा हो गया है
ऐ चाँद तेरी....... argue with moon....
ऐ चाँद तेरी चांदनी पे पहरे लगाना चाहता हूँ
तेरी परछाईं में मेरा चाँद मुझसे खो गया है....
तू न समझे पीर मेरी क्या व्यथा क्या घाव है
निशब्द है अब ये राग भी अब न मधुर संगीत है
कोलाहल है धरा में न लबो पे गीत है..
तूने हर रात आकर है कई सपने सजाए
तेरी शीतलता में जीवन ये घनेरा हो गया है
ऐ चाँद तेरी....... argue with moon....