चलता चल समस्या है वो विकट विशाल ये तो बस मन का मानना है कांटों से भरा हो पथ ही भले बस चलने का संकल्प ठानना है मन के माने हुआ है सब कुछ न माने मन के कभी कुछ न हुआ अब तो तू परिचित है न ज्ञान से छोड़ विगत, जो हुआ सो हुआ . ©Durgesh Jayam #dkpatelpoetry