पुराने सँन्दुक मे, आज क़िताब और कलम दिखी। वो कलम, जिस से अब लिखना बंद था, खराब सी हो गयी हे, मगर हर पन्ने पे तेरे लिये लिखे बिखरे अल्फाज आज भी खास हैं। पन्नो के बिच मुझे चुपी, तेरी पुरानी तस्वीर दीखी। वो तस्वीर, जो वक़्त के चलते थोडी घुँधली सी हो गयी है, मगर मेरे दिल में तेरी सूरत आज भी साफ है। किताब के नीचे, तेरे तौफे मे दी वो धडी दीखी। वो धडी, जो शायद गुज़रे वक़्त मे रूक सी गई हे, मगरे तेरे साथ बिताया हर लम्हा आज भी याद हे। ©Samar #kitaab #Ghadi #taufa #alfaaz #poem #puraniyaadein #bitapal