एक मूक दृष्टा बनी देखती रहती हूँ सब कुछ समझतीहूँ सब सुनती भी हूँ सब सहती भी हूँ पर कुछ कहती नही हूँ तेरे संग जीना है तो मुझे गवाना होगा शरीर का एक एक पुर्जा डर से किडनी हर वक़्त का तनावपूर्ण माहौल बनाये रखने से हो जाना लकवा के शिकार अब बचा क्या लकवा के बाद शरीर में बना रहे सब कुछ पर अब लकवा से पीड़ित कर पाओगे क्या????? फिर भी सांसे लेती हूँ दिल की धड़कन सुनती हूँ आँखों से सब देखती भी हूँ कानों से सुनती भी हूँ क्या रहा अब करने को बच गया वो सिर्फ अपने मन का कहना भूल गई जीना इन सबके बीच मे बच गए थे वो थे सिर्फ अहसास, ए अहसास मैं तुझे जिन चाहती हूँ....... एक छोटी सी आशा के साथ....... $शिवांगी$ छोटी सी आशा