कुछ ख़ास है बात की ज़हन में रही गई,एक लम्हें में मैं सारी ज़िन्दगी जी गई।महफिलों में गम जो मेरे नाम किए गए, उन लम्हों को भी मैय समझ के पी गई।। तवस्सुर में बनी एक तस्वीर मय्यसर, मैं तस्वीर को एक शक्स में कामिल कर गई,जिए कितने लम्हों की गिनती नहीं, उन लम्हों को मैं कतरा कतरा ही जी गई।। बेचैनियों का सबब ये है कि दरख़्त दिखने लगी है,मगर मैं उन गमों को भी खूबसूरत समझ लम्हें कुछ कर गई।ना गम इतना ज्यादा कोई की जान कुर्बान हो ना ख्वाहिशें ताउम्र वाली,बस हर गुज़रे पल को जिये एक लम्हा उम्मीद का कर गई।।कुछ ख़ास है बात की ज़हन में रह गई,एक लम्हें में मैं सारी ज़िन्दगी जी गई।। #lamhen#love#quotes#lifegoals#serenity#poetrylove