लिखता हूँ।खत खून से स्याही क्यों समझती हो। गर तुम्हे इज्जत बख्शता हूँ।,तो इसे इलाही क्यों समझती हो। गर बात न कर पाउ कुछ मुश्किलो के चलते तो रुस्वाई क्यों समझती हो। हर वक़्त हर एक पल तुमारी वफ़ा ही तो की है। यार, सच तो बताओ कि मेरी मोह्हबत को बेवफाई क्यों समझती हो। @sandhyachandra Mr."Bk" मोह्हबत - ए - रूह # # # # #Nirankar