उसने साड़ी पहनी है घर सर पर उठाया है सामान सारा बिखेर दिया और उलझी है साड़ी में खूब करवाई मिन्नत उनसे खूब तरसाई और ललचवाई भी उनको तब साड़ी निखर के आई हैं उस पर मेकअप ने भी अपना जादू चलाया है लेकिन जबतक न लगा दे वो बिंदी सर पर अधूरा सब श्रृंगार हैं उसने आज साड़ी पहनी है और सारा घर सर पर उठाया है। ©अशोक द्विवेदी "दिव्य" #साड़ी #पहलीसाड़ी #श्रृंगाररस #प्रेमरस