अंधियारी वह रात , सूझे न हाथ को हाथ मेरे मन में भी घना अंधेरा उस काली गहन रात का है भी या नहीं सवेरा! छोटा सा दिया जलाया था नही विश्वास, सह पाएगा तूफ़ान का आक्रोश! कहां वह घनघोर घटा वह चकाचौंध करने वाली बिजली कहां दिए की छोटी सी लौ! छोटी सी पर सशक्त आवाज़ ने कहा दृढ़ लहज़े में आंधी तूफ़ां,बिजली बौछार नहीं बिगाड़ सकते कुछ उस दिए का जो जलता है हृदय के अन्दर आस्था और आत्मविश्वास सका सुरक्षा कवच! सुरक्षा कवच......