कलम की तय सीमा पसन्द न थी सीमा सीमित न कर दे पाबंदी का भय था उड़ते परिन्दे को कैद होते देखा बचपना में ये बात कम न थी जिस कलम को चलाने से पूर्व हजार बार सोचना पड़े क्या उस कलम की गरिमा कम थी ©Suman singh Rajpoot #pen #pen