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कुण्डलिया- - छन्द

कुण्डलिया-                     -
छन्द                     



#सरसिज ज्यों शैवाल मे, शोभित हो जल बीच|
तन्वी तेरे दो नयन ,लेते सबको  खींच।
लेते सबको खींच,भला कैसे बच  पाए।
अनुपम है सौन्दर्य,देख भँवरे मँडराएं।।
घूम रहे चहुँ ओर ,दूर जाये हरगिज़ क्यों।
नयन सरोवर खिली ,रहो गोरी सरसिज ज्यों।।

©डॉ.शिवानी सिंह कुंडलिया छन्द 
मे एक रचना
कुण्डलिया-                     -
छन्द                     



#सरसिज ज्यों शैवाल मे, शोभित हो जल बीच|
तन्वी तेरे दो नयन ,लेते सबको  खींच।
लेते सबको खींच,भला कैसे बच  पाए।
अनुपम है सौन्दर्य,देख भँवरे मँडराएं।।
घूम रहे चहुँ ओर ,दूर जाये हरगिज़ क्यों।
नयन सरोवर खिली ,रहो गोरी सरसिज ज्यों।।

©डॉ.शिवानी सिंह कुंडलिया छन्द 
मे एक रचना