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White पतझड़ में भी खिल रहे गुल.देख क्यूँ हो रही है

White पतझड़ में भी खिल रहे गुल.देख क्यूँ हो रही है हैरानियाँ
सफ़र तो खत्म हुआ..रास्तों में फिर क्यूँ ,चमक रही है निशानियाँ

सबक था जो पढ़ा नही,वक़्त है कि अब रहा नही
रह रह कर  याद आती है, बचपन की वो कहानियाँ

क्या कुछ सहा नही,क्या कुछ है जो सुना नही
ये जीवन रणभूमि है. जानता है फिर क्यूँ ,कर रहा नादानियाँ

धन-दौलत,साजो-सामान सब बसते है घर मे
अंदर जाने  क्यूँ घर कर रही है ये वीरानियाँ

लहरों का शोर जब बढ़ जाता है हद से
किनारें अक्सर ख़ुद ही चुन लेते है खामोशियाँ

ऊँचे दामों में बिक जाते है हवेली के जेवर
ग़रीब के सोने में तो होती है ढेर सारी खामियाँ

फुर्सत से मिलूँगा  इक दिन तुझसे ऐ ज़िन्दगी
जब पीछे छूट रहीं होंगी..महफिलें..बजती हुई शहनाईयाँ
@विकास

©Vikas sharma
  #nightthoughts बजती शहनाई
vickysharma3971

Vikas sharma

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#nightthoughts बजती शहनाई #लव

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