मचलती आँधियों मुझे पत्ता ना समझ लेना मैं सन्नाटा हूँ, तूफ़ान का कुछ और ना समझ लेना और हालाते दौर मैं मुझे दबाओ ना इस तरह मैं ज्वालामुखी हूँ फिर इतना तुम समझ लेना....! ©Varun Vashisth #aajkegalib