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और हो 2(rockstar) मेरी बेबसी का बयान है पीछे गमो क

और हो 2(rockstar)
मेरी बेबसी का बयान है
पीछे गमो की आग आगे शमशान है
जाने इस लम्हे क्या कर जाऊँ
हद से गुज़र जाऊ या मर जाऊ
और हो और हो नासाज़ से साज़ का शौर हो 
ज़िन्दगी खोगई कहीं,जूँ पतंग की कटी डोर हो
फ़िर महव ए ख्वाब में देखा खुद को बर्बाद
इस अफसुर्दगी की नहीं है कोई मियाद 
खुर्शीद आ गया सर पे गिर गई साये की दीवार 
रह गई फकत ख़्वाबों की राख़
और आग का धुँआ,जाने क्या हो गई इस्याँ
और हो और हो नासाज़ से साज़ का शौर हो 
चुरा के ले जाए मुझे यहाँ से खुशियों के जहाँ में
अँधेरे से निकाल के रोशन आईने के दरमियान में
कोई कहीं तो ऐसा चोर हो,खार में लिपटा गुलाब है
पीया जिसे पानी समझ के,वो निकला ज़हराब है
फकत यादें है यख बस्ता,किसी से रहा ही नहीं वास्ता
कभी था तेरी गलियों से मेरा राब्ता
किस्मत ने बना दिया मुझे फ़कीर रास्ते का
यानि मैं इक असीर गुरबत के क़ैदखाने का,किस्मत और वक्त चाहे जितने सितम कर ले
लेकिन ये एक भी अंदाज़ जानते नहीं इस दीवाने का
दौर ए हाज़िर का मजाज़ हूँ 
और मैं क़ैस हूँ गुज़रे ज़माने का
 ग़म का बादल जब भी छाएगा,मैं रास्ता पकड़ लूंगा मैखाने का
इस ज़माने से मैं मावरा
सड़को पे भटकता आवारा,फ़िज़ाओ से जैसे टकरा जाता है भंवरा
अपनी धुन में चलता जाता है कोई सूफ़ी
या बंजारा
रातो का हूँ शैदाई में,एक इल्म छुपा है तन्हाई में
एक आतिश है इस कलम की परछाई में,कभी कभी खुद का ही हूँ हरजाई मैं
कलम खुद खो जाती है शहनाई में,कभी हर शख्स खो जाता है तहरीरो की गहराई में
अब तो वहां तक पहुंचा दे मौला
कहीं लाश ना बन जाए हम उसकी जुदाई में

©qais majaaz,3rdmaster #smog
और हो 2(rockstar)
मेरी बेबसी का बयान है
पीछे गमो की आग आगे शमशान है
जाने इस लम्हे क्या कर जाऊँ
हद से गुज़र जाऊ या मर जाऊ
और हो और हो नासाज़ से साज़ का शौर हो 
ज़िन्दगी खोगई कहीं,जूँ पतंग की कटी डोर हो
फ़िर महव ए ख्वाब में देखा खुद को बर्बाद
इस अफसुर्दगी की नहीं है कोई मियाद 
खुर्शीद आ गया सर पे गिर गई साये की दीवार 
रह गई फकत ख़्वाबों की राख़
और आग का धुँआ,जाने क्या हो गई इस्याँ
और हो और हो नासाज़ से साज़ का शौर हो 
चुरा के ले जाए मुझे यहाँ से खुशियों के जहाँ में
अँधेरे से निकाल के रोशन आईने के दरमियान में
कोई कहीं तो ऐसा चोर हो,खार में लिपटा गुलाब है
पीया जिसे पानी समझ के,वो निकला ज़हराब है
फकत यादें है यख बस्ता,किसी से रहा ही नहीं वास्ता
कभी था तेरी गलियों से मेरा राब्ता
किस्मत ने बना दिया मुझे फ़कीर रास्ते का
यानि मैं इक असीर गुरबत के क़ैदखाने का,किस्मत और वक्त चाहे जितने सितम कर ले
लेकिन ये एक भी अंदाज़ जानते नहीं इस दीवाने का
दौर ए हाज़िर का मजाज़ हूँ 
और मैं क़ैस हूँ गुज़रे ज़माने का
 ग़म का बादल जब भी छाएगा,मैं रास्ता पकड़ लूंगा मैखाने का
इस ज़माने से मैं मावरा
सड़को पे भटकता आवारा,फ़िज़ाओ से जैसे टकरा जाता है भंवरा
अपनी धुन में चलता जाता है कोई सूफ़ी
या बंजारा
रातो का हूँ शैदाई में,एक इल्म छुपा है तन्हाई में
एक आतिश है इस कलम की परछाई में,कभी कभी खुद का ही हूँ हरजाई मैं
कलम खुद खो जाती है शहनाई में,कभी हर शख्स खो जाता है तहरीरो की गहराई में
अब तो वहां तक पहुंचा दे मौला
कहीं लाश ना बन जाए हम उसकी जुदाई में

©qais majaaz,3rdmaster #smog