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ख़्वाहिश फूल बनकर चमन में खिलती रहे, मेरे दिलो दिमा

ख़्वाहिश फूल बनकर चमन में खिलती रहे,
मेरे दिलो दिमाग में वतनपरस्ती पलती रहे।

ना मुरझाए कभी भी गुल मेरे गुलिस्तान का,
आँधियों में भी उम्मीदों की शमा जलती रहे। यह प्रतियोगिता संख्या -27  है
आप सभी कवि- कवयित्री का स्वागत है।
💐💐
 
🎧 चार(4) पंक्ति में रचना Collab करें

नया नियम:- आपके रचना post करने के बाद
                 आप जाँच पड़ताल कमेटी के किसी एक
ख़्वाहिश फूल बनकर चमन में खिलती रहे,
मेरे दिलो दिमाग में वतनपरस्ती पलती रहे।

ना मुरझाए कभी भी गुल मेरे गुलिस्तान का,
आँधियों में भी उम्मीदों की शमा जलती रहे। यह प्रतियोगिता संख्या -27  है
आप सभी कवि- कवयित्री का स्वागत है।
💐💐
 
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नया नियम:- आपके रचना post करने के बाद
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