"आंदोलन जीवी" चंद नारों के सहारे खड़ा हूं अपने हक की आवाज़ लिए गली गली गूंज उठा है हर व्यक्ति अब जाग चुका है घर गृहस्थी संभाल महिलाएं, बैठी सालों से सड़कों पर शिक्षित युवा भविष्य छोड़ घूम रहा तेरे गलियारों में वृद्ध मेहनती किसान डटा हुआ है हर हाल में इतनी बौ छा रें न रोक सकी तुम्हारी, फिर लगे पड़े हो बदनामी में कुछ तो शर्म करो देशद्रोही देशविरोधी का ये मंत्र अब बन्द करो हर तरफ धुआं धुआं है जिसमें मेरा जिक्र हुआ है उठते हैं मेरे मुद्दे, लेकिन तेरे स्वर में थरथार्रती मीडिया रहती हैं अब भय में जिसे खालिस्तानी कहने में लगे पड़े हो कुछ वक्त निकालो अपना कहने में छवि बन चुकी पूरी दुनिया में कभी घूम लो अपने देश की गलियों में सवाल है मेरा।।। गर्व होता है तुम्हें जिस पर क्यों खड़ा है आज वो सड़कों पर होंगे कुछ लोग आतंकी -२.. अर्थ ये नहीं कि तुम भरो सभी को जेलों में चंद नारों के सहारे खड़ा हूं अपने हक कि आवाज लिए कुछ तो शर्म करो देशद्रोही देशविरोधी का ये मंत्र अब बन्द करो -C2 #protest