भूलता नहीं तुम्हें मैं, "विस्मय" हो तो याद आते हो तुम याद आकर संग में "महफ़िल" सुहानी सजाते हो तुम दिन हो या रैन, इस दिल को "ख़ुशनुमा" बनाते हो तुम धूप हो या छाँव, हर "ख़्वाहिश" में मेरी समाते हो तुम आफ़ताब हो या माहताब सब में "नज़र" आते हो तुम मेरी हर "गुफ़्तगू" में "लफ्ज़" बनकर "याद" हो तुम कुछ पल जो दूर जाते हो,"दिल" को बड़ा सताते हो तुम यादों का सफ़र सुहाना है "प्रेम" का गीत गाते हो तुम भूल जाऊँ ग़र कभी,आकर अपनी याद दिलाते हो तुम रिश्ता रहमत ख़ुदा की, हर इबादत में याद आते हो तुम ♥️ Challenge-584 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।