सोचता हूँ आज सब कुछ जो मन मे दफन सब बोल दूंगा। फिर जब बोलना होता है तो निःशब्द हो जाता हूँ। और फिर से जख्म ताजा हो जाता है। मैं फिर से खामोशी में रो देता हूँ।। परिस्थितियों में सबसे ज्यादा घनिष्ठता, मेरी खामोशी से हो गयी है। मेरे बोलने से किसी को दुख न हो , इसलिए खामोशी में रह लेता हूँ। हाँ, किसी को पता नही चलता मैं खामोशी में रो लेता हूँ।। मुझे भी बातो का बुरा लगता है, पर कुछ बोलता नही ये सोचकर कि अभी समय है, समय के साथ सही गलत समझ जाएंगे , पर मेरे इस बर्ताव को वो हमेशा गलत समझ लेते है। मुझे मिले इस ईनाम पर मैं फिर से निःशब्द हो गया, हाँ, एक बार फिर मैं ख़ामोशी में रो दिया। अब मेरी घनिष्ठ मित्र होने के कारण खामोशी भी रोयेगी हाँ मित्र है ना खामोशी से रोयेगी। #ख़ामोश