'नजर नहीं आ रहा वह 'दिलदार' कहीं "ईद" तो नहीं है' 'किसी और के 'किरदार' का भी वह "मुरीद" तो नहीं है' 'कुछ पल बिता कर 'मोहब्बत' के "शनि" फिर छोड़ जाना' 'यह हुस्न वालों के 'शहर' की कहीं "रीत" तो नहीं है'। ©Shani Shukla #shanishukla #Heartbeat