अपनों की भीड़ में भी अकेलापन खलता है क्यों? मीठी बातों के बाद भी दिल जलता है क्यों? जीतने का हौसला है फिर भी हार का डर क्यों? पाया सबकुछ लेकिन खोया सा लगता है क्यों? तेज कदमों की रफ्तार धीमी हो गयी हैं क्यों? जवाब बहुत से है फिर भी कोई सवाल क्यों? नहीं मन को सुकून, बेचैन दिल क्यों? सुख के उजाले मे गम की धूँधली सी छाया क्यों? हर एक मुस्कुराहट के पीछे उदासी क्यों? हर उगते दिन के बाद ढलती शाम क्यों? nojoto#poem#आखिर क्यों.... अपनो की भीड़ में भी अकेलापन खलता है क्यों?.........