खामोश लबों से हमें निभाना था यह रिश्ता, पर कमबख्त धड़कनों ने चाहत का शोर मचा दिया। पहली मुलाकात की पहेली, मैं अब तक सुलझा ना पाई,के ऐसा भी क्या था, जिसने मुझे तेरा कायल बना दिया। सुबह के पहले ख़्वाब से रात की इस नींद तक एक तेरा ही पहरा तो था मेरी जान। रिश्ता इतना पुराना नही हमारा पर तेरे अपनेपन ने इसे और गहरा बना दिया। मोहब्बत थी मोहब्बत है और मोहब्बत तो हमेंशा रहेगी,मगर अब तुझे उस शिद्दत से ना चाहना, हमने इसे ही अपनी आदत बना दिया। आदत बना दिया...! तुझे चाहना,जैसे खुद को पूरी तरह भुलाना, मेरा "मै" ना होकर बस "तुम" होजाना, हां कुछ ऐसा ही है तुझे चाहना। दर्द हो या ख़ुशी हर अहसास को तेरे महसूस कर पाना, तेरे लिए हर हदों को पार कर जाना, रोशन करने को तेरा शहर खुद दिये सा जल जाना, हां कुछ ऐसा ही है तुझे चाहना।🖤🖤