तुम मेरे दिन की शुरुआत तुम हो मेरा कल और आज, तुम मेरी रातों की निंदिया तुम मेरे आंगन की चिड़िया। तुम दैवीय वरदान हो असीमित खुशियों की खान हो, तुम नहीं बेटों से कम हरदम साथ निभाओ ख़ुशी हो या ग़म। गर मिटा दिया होता अस्तित्व तेरे जन्म से पहले, कैसे पकड़ पाती ख्वावो को छूटे जो हाथों से मेरे। तुमने बढ़ाया मेरा मान तुमने दिया माँ का सम्मान, तुम न होती तो जग ही न होता सूना सूना आंगन होता। तुमसे महकी मेरी बगिया तुम हो मेरी प्यारी बिटिया, प्रभु मेरी अर्ज़ सुन लेना अगले जनम मोहे फिर बिटिया देना। बेटी काबा काशी है बेटी ही गंगा जल है बेटी को मत बोझ समझना बेटी है तो कल है। ©VINAY PANWAR Sakshi Dhingra