अनेक बाबाओं की शौहरत बढ़ी दिन दूनी रात चौगुनी ! त्राहि त्राहि जनता को चटाते ये अंधविश्वास की चाशनी !! लाखों की भीड़ जुटा तेजी से जमा कर लेते अकूत संपत्ति ! आयकर छूट लाभ ले, संपत्ति में होती जल्दी जल्दी वृद्धि !! भीड़ को देख नेताओं की टपकने लगती लार ! इन बाबाओं के कदमों में होता राजनैतिक संसार !! राजनीति के दाव उलटे पड़ने पर ही होती इन्हें जेल ! फिर चल पड़ता दे लेकर बारंबार पैरोल का खेल !! जनस्वास्थ्य की मिलावटी खाद्यों से की जाती ऐसी तैसी ! लागत से दस बीस गुने दामों पे होती दवाओं की आपूर्ति !! जब आमजन की औकात से बाहर रचता इलाज का रास ! वो इलाज हेतु पहुंच जाता किसी न किसी बाबा के पास !! आमजन अंधविश्वास के जाल में आसानी से फंस जाता ! भावनाएं चरम पे पहुंचने पर हाथरस सा हादसा घड़ जाता !! मिलीभगत से कई मामले किए जा चुके हैं रफा दफा ! बाबाओं नेताओं का रहता ही है चोली दामन का रिश्ता !! देश बरबादी के कगार पर इसीलिए पहुंच रहा ! क्योंकि इंसान अपना भला बुरा ही नहीं समझ रहा !! भोली भाली जनता के हकों के साथ हो रहा खिलवाड़ ! जनता समझ गई जिस दिन, लेगी हर जुल्म का हिसाब !! आवेश हिन्दुस्तानी 5.07.2024 ©Ashok Mangal #AaveshVaani #JanMannKiBaat