हटेगा मुकद्दर का अंधेरा खुद को बता रखा है वो चिराग बनकर आएगा दिल को बता रखा है अभी कहि रास्ते मे होगा जो खुशियां लानेवाला है उसके इंतज़ार में सर को इबादत में झुका रखा है उसका इकरार सुन कहि पागल ही ना हो जाऊं मै जोर से धड़कते इस दिल को हमने बातो में लगा रखा है अश्को से खेत सींच रहा है जस्बात का बागबाँ भी अपने कमरे में उसकी यादों का गुलशन बना रखा है जिस दरिया की सोच में बहता मैं हु आज कल हमने उस नदी का नाम कशमकश रखा है काश के वो अजीज सुन ले दिल की आवाज भी हमने इम्तिहान की तलवार पे अपना सर रखा है ©Mansal Taak #Music#is#the#best#remedies#ever