जिस तरह पका हुआ फल स्वतः अपनी डाली दे दूर हो जाता है, उसी प्रकार आत्मज्ञान से पका हुआ मनुष्य संसार के मायाजाल से स्वयं को पृथक पाता है ~ राजीब कौरव