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किसने कहा वो खंजर लिए घूमते है, उनकी तो बेरुखी ही

किसने कहा वो खंजर लिए घूमते है, 
उनकी तो बेरुखी ही काफी है क़त्ल के लिए। 
किसने कहा हम मशाल लिए घूमते है, 
हमारी तो कलम ही काफी उनकी बर्बादी के लिए
किसने कहा वो खंजर लिए घूमते है, 
उनकी तो बेरुखी ही काफी है क़त्ल के लिए। 
किसने कहा हम मशाल लिए घूमते है, 
हमारी तो कलम ही काफी उनकी बर्बादी के लिए