महामना की बगिया भी है अब ये हमको याद नहीं क्यों नही सुनाई देता है जय महामना का नाद कहीं चुप्पी साधे क्यों बैठे हैं , क्या ये न्याय यथोचित है चीख रहा है मौन रूप कि न्याय आपका अनुचित है अब सारे बीएचयू वाले नव इतिहास रचाएंगे घर बैठे ही शायद हम सब डिग्री को पा जाएंगे बीएचयू में पढ़े लिखे ये हम सबका भी सपना है कभी नही जा पाया फिर भी लगता जैसे अपना है अब लगता है हमको जैसे , सारे सपने टूट गए जैसे भगवन प्रिय भक्त से बिना बात के रूठ गए बीएचयू से पढ़ा है हमने किस मुख से बात बताएंगे घर बैठे ही शायद हम सब डिग्री को पा जाएंगे ✍️ श्याम प्रताप सिंह , काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ©Shyam Pratap Singh #Madan_mohan_malviya