(याचना) अंतर्द्वंद से ऊपर उठकर, भ्रम की सतह को तोड़ सके, सच और झूठ से परे खुद को हम परमसत्य से जोड़ सके, सानिध्य किसी का हो न हो उस आदि पुरुष का संबल हो, कर्मों से खुद को सींच सकूं, मुझमें यथार्थ का होश रहे।.. ....... ©. याचना #Light