कागजी फूलों में खुश्बू आने लगी बाजार ने बदल दिए मायने सभी सखी दौर दिखावे के घोर अंधेरे का है सच शुद्ध स्पष्ट होकर भी बच्चे सा है जिसे जानते हैं सब पर मानते नहीं सामने देखकर भी पहचानते नहीं बबली गुर्जर ©Babli Gurjar KK क्षत्राणी