ताना ज़माने का देखो सुधर जाने को कहते है, मासूमियत उम्र का देखो बिगड़ जाने को कहते है ! परेशां है कुछ लोग मेरे बचपना से,और बुजुर्ग अपना हमसफ़र हो जाने को कहते है ! गाँव जैसा खिलकर महकना चाहता हूँ , भौतिकतावाद मुझे शहर हो जाने को कहते है ! दोस्त परेशां है तो मैं भी पड़ाव में हूँ , अगतिशील जमाना मुझे सफर हो जाने को कहते है ! कामयाबी पुकारती ''अमोद'',ख़ुशी की लकीर बनो माँ के चेहरे पर , उभर जाने को कहते है ! चंद सेर हक़ीक़त का @अमोद गुप्ता