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*छोटा सा मोहल्ला मेरा,* *पूरा बिग बाजार था!* *एक न

*छोटा सा मोहल्ला मेरा,*
*पूरा बिग बाजार था!*
*एक नाई, एक मोची, एक सुनार,*
*एक कल्लू लुहार था.*
*छोटे छोटे घर थे पर,* 
*हर आदमी बङा दिलदार था.*
*कहीं भी रोटी खा लेते थे,* 
*हर घर मे भोजऩ तैयार था.*
*बड़ी, गट्टे की सब्जी मजे से खाते थे,* 
*जिसके आगे शाही पनीर बेकार था.*
*ना कोई मैगी ना पिज़्ज़ा...*
*झटपट पापड़, भुजिया, आचार, या फिर दलिया तैयार था.*
*नीम की निम्बोली और बेरिया सदाबहार था.*
*रसोई के परात या घड़े को बजा लेते,*
*नीटू पूरा संगीतकार था.*
*मुल्तानी माटी लगा पोखर में नहा लेते,* 
*साबुन और स्विमिंग पूल सब बेकार था.*
*और फिर कबड्डी खेल लेते,*
*हमें कहाँ क्रिकेट का खुमार था.*
*अम्मा से कहानी सुन लेते,*
*कहाँ टेलीविज़न और अखबार था.*
*भाई-भाई को देख के खुश था,* 
*सभी लोगों मे बहुत प्यार था.
*छोटा सा मोहल्ला मेर पूरा बिग बाजार था.*
G@ur@v ✍️✍️🙏 *छोटा सा मोहल्ला मेरा,*
*पूरा बिग बाजार था!*

*एक नाई, एक मोची, एक सुनार,*
*एक कल्लू लुहार था.*
*छोटा सा मोहल्ला मेरा,*
*पूरा बिग बाजार था!*
*एक नाई, एक मोची, एक सुनार,*
*एक कल्लू लुहार था.*
*छोटे छोटे घर थे पर,* 
*हर आदमी बङा दिलदार था.*
*कहीं भी रोटी खा लेते थे,* 
*हर घर मे भोजऩ तैयार था.*
*बड़ी, गट्टे की सब्जी मजे से खाते थे,* 
*जिसके आगे शाही पनीर बेकार था.*
*ना कोई मैगी ना पिज़्ज़ा...*
*झटपट पापड़, भुजिया, आचार, या फिर दलिया तैयार था.*
*नीम की निम्बोली और बेरिया सदाबहार था.*
*रसोई के परात या घड़े को बजा लेते,*
*नीटू पूरा संगीतकार था.*
*मुल्तानी माटी लगा पोखर में नहा लेते,* 
*साबुन और स्विमिंग पूल सब बेकार था.*
*और फिर कबड्डी खेल लेते,*
*हमें कहाँ क्रिकेट का खुमार था.*
*अम्मा से कहानी सुन लेते,*
*कहाँ टेलीविज़न और अखबार था.*
*भाई-भाई को देख के खुश था,* 
*सभी लोगों मे बहुत प्यार था.
*छोटा सा मोहल्ला मेर पूरा बिग बाजार था.*
G@ur@v ✍️✍️🙏 *छोटा सा मोहल्ला मेरा,*
*पूरा बिग बाजार था!*

*एक नाई, एक मोची, एक सुनार,*
*एक कल्लू लुहार था.*