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मंजुल मयंक की चपल ज्योत्स्ना क्रीड़ा करती तरणि, अव

मंजुल मयंक की चपल ज्योत्स्ना 
क्रीड़ा करती तरणि, अवनि में, 
धवल चंद्रिका व्याप्त हो गई 
धरणि और व्योमतल में ||स्मृति || चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही थी जल, थल में, स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई थी अवनि और अंबर तल में
मंजुल मयंक की चपल ज्योत्स्ना 
क्रीड़ा करती तरणि, अवनि में, 
धवल चंद्रिका व्याप्त हो गई 
धरणि और व्योमतल में ||स्मृति || चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही थी जल, थल में, स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई थी अवनि और अंबर तल में