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मेरे इश्क की दास्तान खुद को फिर दोहराने लगी हैं बी

मेरे इश्क की दास्तान खुद को फिर दोहराने लगी हैं
बीते दिनों की वो कहानी फिर याद दिलाने लगी हैं
यूँ तो बदल चुके हैं वक़्त के साथ किरदार सभी 
पर ये मोहब्बत आज मुझे फिर आजमाने लगी हैं

जागे थे जिस हकीक़त से हम, वो रातों से रिश्ता बनाने लगी हैं 
ख्वाबों से नाता तोड़ कर, नींदो से पीछा छुड़ाने लगी हैं
इश्क में तो बात करते हैं साथ होने की सभी 
फिर ये तन्हाई मुझे अपने सीने से क्यों लगाने लगी हैं 

ये आखें इश्क की कहानी फिर सभी को बताने लगी हैं 
डूब जाने को इश्क के समंदर में फिर मुझे बुलाने लगी है 
जुदाई लिखी हैं किस्मत में हमसफ़र से फिर इस दफ़ा 
धीरे धीरे से ये मुझे जुदाई का एहसास दिलाने लगी हैं 

मेरी वफा ही मुझे इस कदर सताने लगी हैं 
पर बीते कल की यादें मुझे फिर से रुलाने लगी है
कहने तो हम बेकसूर है दिल के शहर में उनके 
फिर क्यों मोहब्बत में बेवफ़ाई के इल्ज़ाम लगाने लगी हैं 

आखें जिसके साथ एक नयी दुनिया सजाने लगी हैं 
सपनों को हकीक़त में बदलने के ख्वाब दिखाने लगी हैं 
उसकी बातों पर एतबार करुँ भी तो कैसे करुँ 
उसकी ही बाते मुझे हर रोज रुलाने लगी हैं

©meri kalpna
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