देखा एक ख़्वाब तो, देखा एक खुवाब तो मै डर गई ज़िन्दगी से मैयुस हो गई अपनों से बिछड़ने का ग़म भूल गई तन्हाइयों से भी विदा हो गई आंख जब खुली तो याद आया चेहरा रुखसत हो कर सामने आया मै औलाद हूं जिसकी अभी फ़र्ज़ और कर्ज है झुकना अपनी ज़िन्दगी को नाम है उनके करना देखा एक खुवाब तो #₹₹@&@₹@