तुम से कौन कहेगा आकर ? कितनी रात ढलीं बिन चँदा , कितने दिन बिन सूरज बीते , कैसे तड़प-तड़प कर बिखरे , भरी आखँ में सपने रीते , कौन पिये और कैसे खाए , मन को जब जोगी भा जाए , तुम को कौन सिखाये भा कर ? तुम से कौन कहेगा आकर....? उन घावों कि अमर-कहानी , जिन के आखर पानी-पानी , उन यादों की आपबितायी , जिन की चुनर धानी-धानी , तुम को कहाँ मिलेगा अवसर , कुछ पल रोम-रोम में बस कर , हम सा कोई सुनाये गाकर ? तुम से कौन कहेगा आकर....? -डॉ कुमार विश्वास . ©Ritesh Shrivastava Hope you like it If Yes, then Like, Comment & Share Follow for more post #हिंदी #kumarvishwas #classicpoet #poems #poets #rekhta #shayari #shayarilove #urdupoems #lovequotes