कई मुद्दतों से उसे निहारा नही है उसके लिए इश्क़ मेरा एक बहाना सही है पैवस्त तो हो चुकी है वो इस ज़िन्दगी में सही कई मुद्दतों से उसे निहारा नही है मैं नही जानता तू चालबाज़ भी है मैंने सुना था तू इश्कबाज भी है ना जाने कितने फन है तेरे ज़मीर में शामिल मोहब्बत की आड़ में तुझे इल्म है प्यार में हर फर्क का हम तो एक ही माइना जानते है प्यार का कई मुद्दतों से उसे निहारा नही है शायद उसको मेरा साथ गवारा नही है मैं भी तुझे भूल चुका हू तू और तेरा फरेबी प्यार अब मेरा नही है कई मुद्दतों से उसे निहारा नही है " तू फरेबी है "