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पंदरह बाद के कृष्ण पक्ष के दिवस घूम के जब आएं पंदर

पंदरह बाद के कृष्ण पक्ष के दिवस घूम के जब आएं
पंदरह अंधियारी रातों में चाँद रहे पर गुम जाए
निशा *पञ्चदश चाँद पे वो कितनी भारी होती होंगी
पंदरह ही होती हैं पर कितनी सारी होती होंगी

पंदरह उजली रातों में भी वो कितना खुश रहता है,
सबने खुद से सोच लिया ना किसी ने उससे पूछा है
माना चमक, चाँदनी, कई आकार का वो हो सकता है
पर चमक, चाँदनी, शोहरत से कोई कितना खुश हो सकता है ?

(पूरी कविता कैप्शन में।) #RDV19

पंदरह दिन

पंदरह दिन जब चाँद विश्व में खूब चमकता भ्रमण करे,
पंदरह दिन जब चाँद चांदनी पे निज अपनी घमंड करे
पंदरह दिन जब अपनी कलाओं में खुद ही गोते खाए
पंदरह दिन जब करे किसानी, जोते-खाए, खुशी उगाए
पंदरह बाद के कृष्ण पक्ष के दिवस घूम के जब आएं
पंदरह अंधियारी रातों में चाँद रहे पर गुम जाए
निशा *पञ्चदश चाँद पे वो कितनी भारी होती होंगी
पंदरह ही होती हैं पर कितनी सारी होती होंगी

पंदरह उजली रातों में भी वो कितना खुश रहता है,
सबने खुद से सोच लिया ना किसी ने उससे पूछा है
माना चमक, चाँदनी, कई आकार का वो हो सकता है
पर चमक, चाँदनी, शोहरत से कोई कितना खुश हो सकता है ?

(पूरी कविता कैप्शन में।) #RDV19

पंदरह दिन

पंदरह दिन जब चाँद विश्व में खूब चमकता भ्रमण करे,
पंदरह दिन जब चाँद चांदनी पे निज अपनी घमंड करे
पंदरह दिन जब अपनी कलाओं में खुद ही गोते खाए
पंदरह दिन जब करे किसानी, जोते-खाए, खुशी उगाए
shivam7071937002204

Shivam

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