हर कहानी के जैसे हसीं कहानी है तेरी मेरी । कुछ अलग सी *मुलाकात* थी तेरी मेरी ना जाने कैसे बात हुई थी तेरी मेरी बहुत अच्छे से याद है शब्दों में बयां न कर पाना करती है *धुंधली शुरुआत* तेरी मेरी कुछ अलग ही मोड़ पर है चाहत तेरी मेरी काश उतारना चाहती है *नज्म* तेरी मेरी जिसमें प्यार है ही नहीं भर के शरारत है तेरी मेरी और फिर लगाती है विराम जज्बाती कलम इस कागज़ पर जिस में जिक्र की बात है तेरी मेरी क्या आगे भी इसी गली से गुजरेगी कहानी तेरी मेरी क्या वही शहर और ठहर होगी तेरी मेरी तो चल विराम से आगे की लिखे कहानी तेरी मेरी पल्लवी kahaani teri meri