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चराग़ रक्खे कहीं पर कहीं उछाले गए! तुम्हारे साथ ह


चराग़ रक्खे कहीं पर कहीं उछाले गए!
तुम्हारे साथ ही महफ़िल के सब उजाले गये!
چراغ رکھے کہیں پر کہیں اچھالے گئی
تمہارے ساتھ ہی محفل کے سب اجالے گئے

हमारा दिल तो रखा मसनुई गुलाबों से,
हमारे दिल से न कांटे कभी निकाले गए।
ہارا دل تو رکھا مصنوعی گلابوں سے
ہمارے دل سے نہ کاٹے کبھی نکالی گئے

©Aliem U. Khan
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