््रचनादिनाक ,29,, नवम्बर,,2024 वार,, शुक्रवार समय दोपहर 11,00 ््निज विचार ्् ््शीर्षक ्् ््लफ्ज़ निकले ध्वनि स्वर पुकार में मुखर हो गये, शायर और शायरा कवियत्री के अल्फाज़ नगीना में,, वो लफ्जो में दर्द नज़्म,ग़ज़ल, शायरी से इल्म का मक्ता जेहन से निकले, वो लफ्जो में मेरे रच बस गया ्् भावचित्र ्् आपके लफ्ज़ निकले मुखर हो गये ््नज्म, ग़ज़ल ्,शायरी, से ,, अपने इल्म का मक्ता जेहन से निकले वो दर्द का जूनून इस दिल में रच बस गया।।1।। ,वो््भावचित्र सेनयन सजल नेत्रों में झलक उठें,, समझो दिल के दरवाजे पर दस्तक हुई,।।2।। और अपने आप में ,, कोई बदलाव रिश्ते में तब्दील हो ।।3।। वो रिश्ता क्या कहलाता है यही इस मुहब्बत के लिये,, खुद ही जिंदगी में इन्सान से,प्रेम करते हुए।।4।। रब के मुलाज़िमों में,, वो शिरकत करने वाले हो जाते है ।।5।। ््कवि््शैलेन्द़ आनंद ्् 29,, नवम्बर,2024 ©Shailendra Anand लव शायरी हिंदी में कवि शैलेंद्र आनंद