फिर यकायक एक हिचकी उठती है और पहिये रुक जाते हैं एक सफ़र ख़त्म होता है कोई उसपार उतर जाता है और फिर से घूमने लगते हैं पहिये वक्त से आज़ाद वक्त से परे बातिन पटरियों पर सड़कों पर फिर से शुरू हो जाता है एक सफ़र #सफ़रनामा ©river_of_thoughts #सफ़रनामा © गुलाम_यज़दानी