बैठ झरोखे से देख रही थी घनघोर घटा छा रही थी जोरो से हवायें शोर मचा रही थी सूरज की किरणें सुनहरी रोशनी बिछा रही थी धीरे-धीरे बरखा की बूंदे धरा की महक को बढ़ा रही थी मैं दौड़ी उस सुंदर नजारे की ओर जा रही थी बैठ किनारे नदियाँ के खुद को निहार रही थी बस,........... "मां की याद आ रही थी" .....देखा नहीं कभी उसको न जाने फिर भी क्यू्ँ याद आ रही थी बचपन में खूब खत लिखे मां को मां तू कब आएगी ! नावँ बना उनकी इस नदिया में बहा रही थी सोचा यह नावँ वापस आएगी लेकर संदेशा कि, बिटियाँ !बस, मैं तो आ ही रही थी इसी इंतजार में यहां बैठी उसके खत का इंतजार कर रही थी "मुझे मां की याद आ रही थी"। Geetanjali #Mother #MOTHERSLOVE #poem #Hindi #Nojoto #Imagination