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हल्दी घाटी के भीषण रण में, राणा निर्द्वंद्व घूम

हल्दी घाटी के  भीषण  रण में, राणा  निर्द्वंद्व घूमते थे।
जिधर भी  चेतक मुड़  जाता, लाशों के  ढेर झूमते थे।
मानसिंह   बस  एक   वार  में,  होश   गंवाकर  भागा।
अंत  युद्ध  का  निकट  आ  गया, तब  तंद्रा  से  जागा।
सेना को  ललकार  लगाता, बहलोल  खान तब आया।
उसने  राणा  पर वार  किया, और  पूरा  जोर  लगाया।
एक वार में दो कर दिया उसे, जब राणा को रोष हुआ।
हल्दीघाटी  में जोरों  से, जय  जगदम्बा  उद्घोष  हुआ।

©अभिजित त्रिपाठी #हल्दीघाटी #जगदम्बा #रण #चेतक #दो #रोष #जय #उद्घोष #राणा 

#hills
हल्दी घाटी के  भीषण  रण में, राणा  निर्द्वंद्व घूमते थे।
जिधर भी  चेतक मुड़  जाता, लाशों के  ढेर झूमते थे।
मानसिंह   बस  एक   वार  में,  होश   गंवाकर  भागा।
अंत  युद्ध  का  निकट  आ  गया, तब  तंद्रा  से  जागा।
सेना को  ललकार  लगाता, बहलोल  खान तब आया।
उसने  राणा  पर वार  किया, और  पूरा  जोर  लगाया।
एक वार में दो कर दिया उसे, जब राणा को रोष हुआ।
हल्दीघाटी  में जोरों  से, जय  जगदम्बा  उद्घोष  हुआ।

©अभिजित त्रिपाठी #हल्दीघाटी #जगदम्बा #रण #चेतक #दो #रोष #जय #उद्घोष #राणा 

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